गुरु गोविंद दोऊ खड, काके लागूं पांय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय...। कबीर की यह पंक्तियां आज भी प्रासगिं क हैं। गुरु ही हमारे भविष्य को गढ़ता है, हमें अच्छे-बुरे का भेद बताता है, हमें वह दिशा देता है, जहां हमारी मंजिल है। हर शिक्षक अपने शिष्य को सही मार्ग पर चलना सिखाता है, लेकिन कई बार शिष्य उस रास्ते पर चलकर आसमान में ध्व तारे के रु समान चमकता है तो कभी वह अपनी राह खुद चुनता है। भोपाल शहर में ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने अपने गुरुओं के बताए रास्तों पर चलकर मंजिल पाई। वे अपने गुरु की दी हुई सीख को अब अपने शिष्यों को दे रहे है।
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